बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरितमानस पर दिए गए बयान से पैदा विवाद शांत नहीं हो रहा है.
उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बाद अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी इस पर बयान देना पड़ा है.
चंद्रशेखर बिहार की मधेपुरा सीट से लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी के विधायक हैं.
बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफ़ेसर चंद्रशेखर ने ‘रामचरितमानस’ को लेकर जो कुछ कहा है, उसकी गूँज बिहार की राजनीति में अब तक सुनाई दे रही है.
चंद्रशेखर ने पटना में एक दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों का हवाला देते हुए उसे नफ़रत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था.
समारोह के बाद उनसे जब इस बारे में पूछा गया तो शिक्षा मंत्री ने कहा, “एक युग में मनुस्मृति, दूसरे युग में रामचरितमानस, तीसरे युग में गुरु गोलवलकर का ‘बंच ऑफ़ थॉट्स”, ये सभी देश को, समाज को नफ़रत में बाँटते हैं.”
उनके इस बयान पर विवाद इतना बड़ा हो गया कि बीजेपी ही नहीं, बल्कि महागठबंधन के कई नेता चंद्रशेखर के ख़िलाफ़ हो गए.
अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी इस मुद्दे पर सफ़ाई देनी पड़ी है.
उन्होंने कहा है, “हम लोगों का मानना है कि किसी भी धर्म के मामले में कोई विवाद नहीं करना चाहिए. लोग जिस तरह के धर्म का पालन करते हैं, धर्म का पालन करें. इस पर किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.”
चंद्रशेखर लगातार तीसरी बार आरजेडी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे हैं. वो बिहार में महागठबंधन की पिछली सरकार में आपदा प्रबंधन मंत्री भी बनाए गए थे.
"धर्म पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए"
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरित मानस को नफरती बताने पर पहली बार बोले सीएम @NitishKumar ने कहा कि "वह धर्म के मामले पर कुछ नहीं कहेंगे, कोई भी धर्म का मानने वाला हो उसमें किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए"#BiharNews #Ramcharitmanas pic.twitter.com/XWhS0csOtl
— TV9 Bihar Jharkhand (@TV9Bihar) January 17, 2023
राजनीति की शुरुआत
चंद्रशेखर मूल रूप से मधेपुरा के भलेवा गाँव के रहने वाले हैं. उनके पिताजी एक शिक्षक थे. स्थानीय पत्रकार प्रदीप कुमार झा के मुताबिक़, उनके बड़े भाई रामचंद्र यादव दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफ़ेसर थे, जो अब रिटायर हो चुके हैं.
चंद्रशेखर ने अपनी राजनीति की शुरुआत पूर्व सांसद पप्पू यादव के समर्थन से की थी. वो दो बार पप्पू यादव और उनकी पत्नी रंजीत रंजन के सहयोग से मधेपुरा से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ चुके हैं. हालाँकि दोनों बार उनको हार का सामना करना पड़ा था.
पप्पू यादव के मुताबिक़ उन्होंने और उनकी पत्नी रंजीत रंजन ने चंद्रशेखर की राजनीति के शुरुआती दौर में मदद की थी.
पप्पू यादव ने इससे जुड़े दो चुनावी पर्चे भी बीबीसी को दिखाए हैं, जो कथित तौर पर चंद्रशेखर के निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर साल 2000 और 2005 के चुनाव प्रचार से जुड़े हुए हैं.
हमने इसके संबंध में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का पक्ष जानने की कोशिश भी की. लेकिन बताया गया कि उनकी तबीयत ख़राब है.
क्या कहना है पप्पू यादव का
इस पर्चे में चंद्रशेखर ने अपना नाम ‘चंद्रशेखर यादव’ इस्तेमाल किया है. इसमें उन्होंने राम मनोहर लोहिया, चौधरी चरण सिंह और किसान-मज़दूरों का भी ज़िक्र किया है.
पप्पू यादव का आरोप है कि चंद्रशेखर उनके खेमे के थे, लेकिन आरजेडी उन्हें तोड़कर अपने साथ ले गई.
पप्पू यादव के मुताबिक़, “चंद्रशेखर का रूझान शुरू से राजनीति की तरफ़ था. वो हमारे कार्यक्रमों में आते रहते थे. चंद्रशेखर ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर प्रचार के लिए हमारे फ़ोटो तक का इस्तेमाल किया था.”
मधेपुरा के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कुमार झा के मुताबिक़, पप्पू यादव के समर्थन से चुनाव लड़ने की वजह से चंद्रशेखर को क़रीब 18 हज़ार वोट मिले थे.
आरजेडी ने इसी वोट को देखते हुए साल 2010 के चुनावों में उनको टिकट दिया दिया था.
प्रदीप कुमार का कहना है कि चंद्रशेखर मधेपुरा से टिकट पाने के लिए उस समय शरद यादव के पास भी गए थे, लेकिन उनको टिकट नहीं मिला था.
चंद्रशेखर के बयान पर क्या कहते हैं मधेपुरा के लोग
प्रोफ़ेसर चंद्रशेखर के रामचरित मानस पर बयान के बाद बिहार में विपक्षी दल बीजेपी लगातार उन पर हमला कर रही है.
इसके ख़िलाफ़ बीजेपी और उसके क़रीबी संगठनों ने कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन कर उनको मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की है.
मधेपुरा के स्थानीय पत्रकार तुर्वसु के मुताबिक़, चंद्रशेखर का बाक़ी जगहों में जो विरोध हुआ हो, मधेपुरा में आम लोगों में ऐसा विरोध नहीं दिखता है.
मधेपुरा की स्थानीय मीडिया में ऐसी भी ख़बरें देखी जा सकती हैं, जहाँ लोग चंद्रशेखर का समर्थन कर रहे हैं.
लोगों का कहना है कि रामचरितमानस में जो लिखा है, शिक्षा मंत्री ने उसी बात का ज़िक्र किया है, फिर हाय-तौबा क्यों हो रही है.
मधेपुरा में #बीपीमण्डल के प्रतिमा से शुरू आंदोलन :#RSS भाजपा मनुस्मृति के विरुद्ध और बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री @ProfShekharRJD के बयान के समर्थन में।
जय पेरियार, जय फुले, जय भीम, जय मण्डल।
Video courtesy मधेपुरा टाइम्स Madhepura Times .#JaiMandal pic.twitter.com/rn4XFPBkCD— Dr Suraj Yadav Mandal डॉ सूरज मंडल ڈاکٹر سورج منڈل (@suraj_yadav2005) January 15, 2023
तुर्वसु कहते हैं, “चंद्रशेखर मनुवाद और ब्राह्मणवाद पर बयान देते रहते हैं, लेकिन यहाँ के जातीय समीकरण में ज़्यादातर लोग उनके समर्थन में ही रहते हैं. अगर कोई विरोध करता है तो वो मन ही मन में.”
चंद्रशेखर 2010, 2015 और 2020 में मधेपुरा से लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. 2020 में चंद्रशेखर ने जन अधिकार पार्टी के पप्पू यादव को हराया था, जिनका नाम लेकर कभी वो राजनीति के मैदान में उतरे थे.
चंद्रशेखर के बयान के बाद महागठबंधन में मतभेद दिखने लगा है. इस मसले पर जेडीयू ने उनके बयान का विरोध किया है. लेकिन आरजेडी नेता और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव चंद्रशेखर के साथ खड़े नज़र आ रहे हैं.
तेजस्वी यादव से समर्थन मिलने के बाद शिक्षा मंत्री भी अपने बयान पर क़ायम हैं.
#WATCH | Patna: "How many times do I say the same thing? I spoke the truth, I stand by it. What do I have to do with whatever anyone says?…" says Bihar Education Minister Chandrashekhar on the row over his Ramcharitmanas remark. pic.twitter.com/S181f6xpeZ
— ANI (@ANI) January 13, 2023
‘चंद्रशेखर का ये बयान नया नहीं’
इससे पहले आरजेडी के ही वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने बीबीसी से कहा था कि शिक्षा मंत्री का बयान रामचरितमानस को समझे बगैर दिया गया बयान है.
वहीं जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने चंद्रशेखर के बयान के ख़िलाफ़ पटना के एक मंदिर में मानस पाठ भी किया था.
मधेपुरा की बात करें तो यहाँ लालू प्रसाद यादव के एम-वाई समीकरण का बहुत ज़्यादा असर है. यहाँ क़रीब 40 फ़ीसदी मुसलमान और यादव वोटर हैं.
प्रदीप कुमार झा बताते हैं, “चंद्रशेखर मधेपुरा में अपनी सभा और कार्यकर्ताओं के बीच मनुवाद और रामचरितमानस पर बहुत साल से बोलते रहे हैं. यहाँ के दबे पिछड़े लोगों को वो रामचरितमानस की वो चौपाई कई बार सुनाते हैं, जिसको लेकर फ़िलहाल विवाद चल रहा है.”
आरएसएस, बीजेपी पर लगातार हमलावर
प्रदीप कुमार झा के मुताबिक़, चंद्रशेखर के रामचरितमान पर हालिया बयान का न तो मधेपुरा में कोई विरोध है और न ही कोई असर है.
ख़बरों के मुताबिक़, रामचरितमानस पर बयान के दौरान चंद्रशेखर ने एक और दावा किया था कि वो अपने नाम के साथ ‘यादव’ का इस्तेमाल नहीं करते हैं. वो इसे जाति सूचक मानते हैं.
हालाँकि बीजेपी ने उनके शुरुआती चुनाव प्रचार के पर्चे पर ‘चंद्रशेखर यादव’ लिखा होने का दावा किया है.
पूर्व सांसद पप्पू यादव ने बीबीसी को जो पर्चा दिखाया है उसमें भी प्रत्याशी के तौर पर ‘चंद्रशेखर यादव’ नाम का ज़िक्र मिलता है.
लेकिन हाल के समय में कहीं भी शिक्षा मंत्री का अपने नाम में यादव शब्द का इस्तेमाल नहीं दिखता है. उनका ट्विटर हैंडल भी ‘प्रो. चंद्रशेखर’ के नाम से है.
जबकि बिहार विधानसभा की वेबसाइट पर मधेपुरा विधायक के तौर पर उनका नाम ‘चंद्रशेखर’ दर्ज है.
तुर्वसु इससे जुड़ी एक पुरानी घटना के बारे में बताते हैं. उनके मुताबिक़, जब देश में मंडल कमीशन बनाया गया था तभी मधेपुरा समेत बिहार के कई इलाकों में ‘जाति तोड़ो’ आंदोलन चला था. सरनेम से लोगों की जाति का भी पता चलता है, इसलिए लोगों ने सरनेम का भी त्याग किया था.
तुर्वसु कहते हैं, “यादवों और पिछड़ी जातियों में कई उपजातियाँ हैं. उस दौर में कई परिवारों ने उपजातियों की दीवार को तोड़कर शादियाँ कराई थीं. पिछड़ी जातियों में बिहार में ‘ब्राह्मण छोड़ो, जनेऊ तोड़ो’ का नारा भी दिया गया था.”
प्रोफ़ेसर चंद्रशेखर अपने सोशल मीडिया पोस्ट में भी मंडलवाद का समर्थन और बीजेपी/आरएसएस पर लगातार हमला करते दिखते हैं.
देश में असमर्थों की आवादी 85%है।इन असमर्थों को सामर्थ्यवान बनाए बिना देश को सामर्थ्यवान बनाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। तभी तो मनु वादियों द्वारा अछूत बनाई गई बहुजनो को ताकतवर बनाने की वालों मेंं आचार्य नरेन्द्र देव एवं लोहिया,VPसिंह आदि अधिसंख्य महापुरुष ऊंची जाति के थे। pic.twitter.com/UDAnHVqLaZ
— Prof. Chandra Shekhar (@ProfShekharRJD) June 10, 2020
स्थानीय पत्रकार प्रदीप कुमार झा के मुताबिक़, चंद्रशेखर औरंगाबाद के रामलखन सिंह यादव कॉलेज के प्रोफ़ेसर भी हैं.
इस संबंध में हमने औरंगाबाद के राम लखन सिंह यादव कॉलेज में भी संपर्क किया. वहाँ से केवल इतनी जानकारी मिल सकी कि वो कॉलेज में जंतु विज्ञान विभाग से जुड़े हुए हैं.