कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद अस्पतालों में बेड नहीं मिलने के कारण होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे मरीजों पर ऑक्सीजन की डोज भारी पड़ रही है। घर पर डॉक्टर की सलाह के बिना लंबे समय तक और ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन लेने की वजह से मरीजों के फेफड़े थक रहे हैं।
ऑक्सीजन की ज्यादा डोज की वजह से अधिकांश लोगों की हालत सुधरने की बजाय बिगड़ रही है और मृत्यु दर बढ़ रही है। ऐसे में अब प्रशासन जगह-जगह लग रहे ऑक्सीजन लंगर के संचालकों से समन्वय स्थापित कर वहां आने वाले मरीजों को अस्पतालों में भर्ती कराएगा।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में अप्रैल माह में संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ी है। गाजियाबाद में कई दिन तक रोजाना 1200 से 1500 लोग संक्रमित मिले हैं। एक समय में एक्टिव केसों की संख्या 6800 तक पहुंच गई थी, जबकि गाजियाबाद जिले में कोविड के सामान्य बेड 3200 और आईसीयू बेड 773 हैं।
यानी तीन हजार से ज्यादा बेड की कमी से जिला जूझ रहा था। सभी सरकारी और प्राइवेट कोविड अस्पतालों में बेड फुल हो गए। लिहाजा स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों को होम आइसोलेशन की इजाजत दे दी। यहां डॉक्टरों से टेलीमेडिसिन के जरिए इलाज कराया गया और ऑक्सीजन का स्तर कम होने पर घर पर ही ऑक्सीजन देनी शुरू कर दी गई।
डॉक्टरों का कहना है कि बिना अनुभवी स्टाफ के ऑक्सीजन की डोज देने में भी कई गलतियां हुईं। लगातार ज्यादा डोज मिलने से लोगों के फेफड़े थक गए। कुछ घंटों तक तो उन्होंने रिस्पांस किया, इसके बाद फेफड़ों में संक्रमण बढ़ता गया और धीरे-धीरे यह ब्लॉक होते चले गए। जिसकी वजह से मरीज मौत के मुंह तक पहुंच गए।