मुख्यमंत्री शिवराज ने स्वीकारा स्थिति विकट है?

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इतने लंबे शासनकाल में यह पहला मौका होगा जब उन्होंने कोरोना जैसी महामारी से जूझते हुए यह स्वीकार किया कि स्थिति विकट है लेकिन यह सभी जानते हैं कि इस विकट स्थिति के लिये जिम्मेदार वह स्वयं ही हैं, एक लम्बे अरसे से यह खबरें आ रही थी कि कोरोना की दूसरी लहर देश में आएगी जो विकट होगी लेकिन वह और उनके वह सलाहकार जो उनके लगभग १६ सालों के शासनकाल में चली हर योजनाओं की फर्जी आंकड़ों की रंगोली सजाकर मुख्यमंत्री को सहालहकार खुश करते रहे !आज जो शिवराज सिंह ने कोरोना महामारी के चलते उनके उन सलाहकारों के जो योजनायें शिवराज सरकार ने लागू की थी उन्हीं योजनाओं के बारे में यदि थोड़ा स्मरण शिवराज सिंह कर लें तो उन्होंने जब सूखा पर्यटन के नाम पर अधिकारियों को वल्लभ भवन से निकालकर जमीनी स्तर का जायजा लेने भेजा था तो उनमें से अधिकांश अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार हितग्राहियों तक नहीं पहुंच रहा है साथ ही हर योजना का लाभ हितग्राही को तभी मिलता है जब वह लेन-देन करता है यह स्थिति जिस प्रदेश में भाजपा के और खासकर शिवराज के शासनकाल में लम्बे समय तक चलती रही हो अब चौथी बार भले ही प्रदेश कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके सहयोगियों द्वारा भाजपा का दामन थामने के बाद कांग्रेस की लंगड़ी सरकार के पतन के बाद भले ही वह चौथी बार मुख्यमंत्री बन गये हों तो अब यह दावा नहीं किया जा सकता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके सहयोगियों के भाजपा में शामिल होने के बाद जिस प्रकार की भ्रष्टाचार की गंगोत्री भाजपा के चर्चित नारे सबका साथ, सबका विकास के साथ अधिकारियों ने बहाई अब वह भ्रष्टाचार की गंगोत्री तो बहना बंद नहीं होगी क्योंकि चाहे उनके सलाहकार वह अधिकारी हों जो हर योजनाओं की फर्जी रंगोली सजाकर मीडिया में बड़े-बड़े विज्ञापन जारी कर शिवराज सरकार में राम राज्य होने का दावा किया करते थे इन परिस्थितियों में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके सहयोगियों के भाजपा में आने से परिवर्तन नहीं होने वाला है क्योंकि सभी की दाड़ में भजकलदारम् का स्वाद तो लग गया है और उसे चखे बिना कोई अधिकारी या भाजपा का नेता अब संत की मुद्रा में आनेवाला नहीं है यही वजह है कि आज शिवराज सिंह को अपने सलाहकारों की बदौलत कोरोना महामारी में असफल होने के चलते यह कहना पड़ा कि स्थिति विकट है 

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